विज्ञान चला है... हरियाणा के कलमकार की अद्भुत रचना | Gyani Guide साहित्यक मंच
विज्ञान चला है
दूर था बात हुई
मजबूर था मिलने से
मिलन की घड़ी साथ हुई
बीमार था कई दिनों से तबियत ख़ास हुई
किसी ने पूछा मुझसे
क्या जादू चला है ?
मैंने कहा नहीं – 2
विज्ञान चला है......
दूरी घट जाती है
मजबूरी हट जाती है
उम्मीदें बढ़ा देता है
जीने का मकसद सिखा देता है
दुनिया से अलग नजरिया दिखाया
मुझे अलग संसार बताया
जीना आसान हो गया
चाँद धरती समान हो गया
हर प्राकृतिक घटना का पहले पता चल जाता है
दूर देश से कोई छाछ पीने भारत आ जाता है
फिर कोई कहता है कि जादू चला है ?
मैंने कहा नहीं – 2
विज्ञान चला है..........
गर्मी में ठंडक दे दी
सर्दी में ठंडक ले ली
अंतरिक्ष को किसी ने घर बना लिया
दिमाग से मेरे अंधविश्वास हटा दिया
क्या सोचता है कोई पता चल जाता है
अब जल्दी से लैटर घर आता है
पैसे का लेनदेन आसान है
दुनिया से जुड़ना अब चाय पीने समान है
फिर कोई कहता है कि जादू चला है ?
मैंने कहा नहीं – 2
विज्ञान चला है........
पढाई का तरीका बदला
काम का सलीका बदला
रहस्यों से पर्दा हटा है
पता चल गया कि कैसे, कहाँ, बादल फटा है ।
मौत को जिन्दगी दी है
दुर्घटना में कमी की है
अंधों को आँखें दी हैं
मरणासन्न को सांसे दी हैं
भटकों को राह देता है ।
बिछड़ों को मिला देता है
भू के गर्भ को नजदीक से जाना
पत्थर में इसने सोना पहचाना
फिर कोई कहता है कि जादू चला है ?
मैंने कहा नहीं – 2
विज्ञान चला है......
खेती का ढंग बदला
मानव का रंग बदला
लोहे को पंख लगे हैं
सब उन्नति की ओर बढे हैं
क्या, कुछ, कैसे, कब, कहाँ घटता है
सबसे पहले इन्टरनेट से पता चलता है
फिर कोई कहता है कि जादू चला है ?
मैंने कहा नहीं – 2
विज्ञान चला है...... विज्ञान चला
है ......
चंद पंक्तियाँ :-
कुछ देन हैं प्यारी
कुछ देन करारी
कुछ देन सभी पर भारी हैं
गर करो प्रयोग संभल कर इनका
ये देन उन्नति हमारी हैं
कवि
दीपक मेवाती 'वाल्मीकि'
लेखक परिचय :-
तहसील-तावड़ू जिला- नूंह
पिन-122105, हरियाणा
मोबाईल - 9718385204
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विज्ञान चला है... हरियाणा के कलमकार की अद्भुत रचना | Gyani Guide साहित्यक मंच
Reviewed by Gyani Guide
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11:59 AM
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