"घुल जाओ मुझमे" अद्भुत रचना | लेखिका :- भावना ठाकुर "भावु" बैंगलोर | Gyani Guide साहित्यक मंच
#मैं नींद का टुकडा रख दूँ
तुम्हारे सिरहाने
तुम ओढ़ लो सुकून की चद्दर.!
#सदियों से जगी आँखों में टशर है दर्द की
चूभती है मेरी पलकों को
जब-जब मिलाता हूँ तुम्हारी पलकों से.!
#कोरी करारी मेरी आँखों से उठाकर
रेत से तुम्हारे ख़्वाबगाह की ज़मीन में
बो दूँ सपने
नमी छलक रही है पनप उठेंगे.!
#शाम की तन्हाई में खुद को मेरे हवाले कर दे, मुट्ठी भर मोती मेरी चाहत के तेरी मांग में भरकर
धूमिल शाम तेरी केसरिया कर दूँ.!
#करीब आओ मेरी हसरत के सितारे भर दूँ तुम्हारे गम सभर आसमान की गोद में
झिलमिला उठे तमस की रात छंटे.!
#मेरी आगोश की गर्माहट में रख दो अपना शीत वजूद, ऋत बदल जाए पतझड़ में बहार खिल जाए.!
#घुल जाओ मुझमें मैं वार दूँ अपना सबकुछ
तेरे इश्क में मेरी जाँ चाहे फ़ना हो जाए।
लेखिका :- भावना ठाकुर "भावु" बैंगलोर
"घुल जाओ मुझमे" अद्भुत रचना | लेखिका :- भावना ठाकुर "भावु" बैंगलोर | Gyani Guide साहित्यक मंच
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