ग़ज़ल "भाईचारा रखना" लेखक :-नदीम हसन
सूरज चाँद न सही कुछ सितारा रखना
वक़्त की आवाज़ है भाईचारा रखना
ज़िन्दगी क़ौम की औरों के नाम की
अपनों से हरगिज़ नहीं किनारा रखना
गुज़र जाये मज़लूमों की भी शाम
ऐ हमवतन ऐसा अब गुज़ारा रखना
क़दम से क़दम मिला न पाओ दोस्त
दहलीज़ पे रौशनी का सहारा रखना
दिल तो बेलगाम है इसका गिला क्या
तुम घर में आंगन ओसारा रखना
जाने वाले इलज़ाम तेरा हक़ नहीं
मुश्किल है याद में दोबारा रखना
चलने से मत घबरा चल नदीम चल
उनका नसीब है राह में अंगारा रखना
............... ... .... .......................
नदीम हसन चमन
वक़्त की आवाज़ है भाईचारा रखना
ज़िन्दगी क़ौम की औरों के नाम की
अपनों से हरगिज़ नहीं किनारा रखना
गुज़र जाये मज़लूमों की भी शाम
ऐ हमवतन ऐसा अब गुज़ारा रखना
क़दम से क़दम मिला न पाओ दोस्त
दहलीज़ पे रौशनी का सहारा रखना
दिल तो बेलगाम है इसका गिला क्या
तुम घर में आंगन ओसारा रखना
जाने वाले इलज़ाम तेरा हक़ नहीं
मुश्किल है याद में दोबारा रखना
चलने से मत घबरा चल नदीम चल
उनका नसीब है राह में अंगारा रखना
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नदीम हसन चमन
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ग़ज़ल "भाईचारा रखना" लेखक :-नदीम हसन | Gyani Guide साहित्यक मंच
Reviewed by Gyani Guide
on
10:53 AM
Rating:
अच्छी ग़ज़ल,बधाई।
ReplyDeleteअच्छी ग़ज़ल,बधाई।
ReplyDeleteआभार
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