मेरा आशिक आवारा
Hindi Poem By Geetanjali
गिरा कर मुझको,वो संभलना सीख रहा है,
मुझको बेवफा बता कर खुद को वफादार बता रहा है,
वो मेरा आशिक आवारा,
मुझको अपना गुनेहगार बना कर, मुझसे यूं प्यार जता रहा है।।
वो कहता है कि तेरी नज़रें झूठ बयां करती हैं,
वो झूठा ठहराकर मुझे,
खुद का सच छुपा रहा है,
वो मेरा आशिक आवारा,
मुझको अपना गुनेहगार बना कर, मुझसे यूं प्यार जता रहा है।।
दुनिया की रसमों रिवाज़ों को नज़र अंदाज़ करके,
वो मेरी नज़र हर पहर उतार रहा है,
खुद को सामने रख कर वो,
मुझको यूं महफ़ूज़ रख रहा है,
वो मेरा आशिक आवारा,
मुझको अपना गुनेहगार बना कर, मुझसे यूं प्यार जता रहा है।।
भीड में चलते चलते,
वो मेरा हाथ यूं छुडाकर जा रहा है,
खुद को दिखाकर नामाकुल वो,
मुझमें यूं आत्मविश्वास जगा रहा है,
वो मेरा आशिक आवारा,
मुझको अपना गुनेहगार बना कर, मुझसे यूं प्यार जता रहा है।।
इश्क में खुद को मुझसे अलग कर दिया उसने,
वो मुझसे कुछ इस तरह हाल-ऐ-दिल निभा रहा है,
बेशक पास नहीं वो मेरे,
दूर रहकर ही वो मेरी कद्र यूं बार बार कर रहा है,
वो मेरा आशिक आवारा,
मुझको अपना गुनेहगार बना कर, मुझसे यूं प्यार जता रहा है।।
:- गीतांजली
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मेरा आशिक आवारा अद्भुत हिंदी रचना लेखिका :- गीतांजली
Reviewed by Gyani Guide
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9:20 PM
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