गौरवर्ण और सुन्दर सन्तानोत्पत्ति के लिए।
गर्भवती स्त्री को पहले महीने से आठवें महीने तक रोजाना दो सन्तर दोपहर
को खिलाने से बच्चा सुन्दर और गौरवर्ण होता है।
विकल्प-(१) गर्भाधान का पता चलते ही आधा से एक ग्राम असले
दंशलोचन का चूर्ण रात्रि सोने से पहले प्रथम तीन-चार महीने दूध के साथ
निरन्तर लेते रहने से बच्चा गौरा सुन्दर और पुष्ट उत्पन्न होता है, माँ स्वस्थ और ताकतवर रहती है और गर्भपात का भी भय नहीं रहता। सहायक उपचार के रूप यदि वंशलोचन के सेवन के दिनों में जितनी खा सकें, रुचिपूर्वक कच्चे
नारियल की गिरी, मिश्री के संग चबाचबाकर खाते रहने से संतान का वर्ण अवश्य
गौरा होगा, साथ ही वह सुन्दर और हृष्ट-पुष्ट होगी और गर्भवती स्त्री की कमजोरी
दूर होगी। (२) गर्भावस्था में नौ मास तक नित्य भोजन के बाद सौंफ चबाते रहने
से संतान गौरवर्ण की होती है। (३) गर्भवती स्त्री को यदि नियमित रूप से ताजा
अंगूरों का रस ६० ग्राम की मात्रा से दिन में दो बार देने से गर्भस्थ, शिशु स्वस्थ एवं
बलवान होता है और सुन्दर भी। साथ ही माँ को मूच्र्छा, चक्कर, दांत का दर्द,
मरोड़, सूजन, अफारा और कब्ज आदि व्याधियाँ नहीं होगी। (४) रोजाना नाश्ते
में आँवले का एक मुरब्बा खाते रहने से बच्चा गौरा और स्वस्थ होगा और माँ स्वयं
भी स्वस्थ रहेगी।
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इसे अपनाए सुंदर और स्वस्थ संतान पाए
Reviewed by Gyani Guide
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4:48 PM
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