जो व्यक्ति घोर कठिनाइयों से भी अपना रास्ता ढूंढ ले और उन
कठिनाइयों पर विजय प्राप्त करता हुआ आगे बढ़ जाये, वही ‘आशावादी
व्यक्ति होता है। उसके आत्मविश्वास की हमें दाद देनी चाहिए, लेकिन जिस
व्यक्ति के मन में सन्देह रहता है, जो सदा सशंकित रहता है, जो अपने सामने
के मार्ग को भी नहीं देख सकता, सदा डरता है, इसी दुविधा में भटकता रहता
है कि मैं इस रास्ते पर आगे बढ़ें या नहीं और इस प्रकार हाथ में आये हुए
अवसर को गंवा देता है, ऐसा व्यक्ति निराशावादी व्यक्ति कहलाता है।
आत्मविश्वास वह कुंजी है, जिससे व्यक्ति की कार्यकुशलता एवं योग्यता
आगे बढ़कर उसकी उन्नति के रास्ते पर पलकें बिछा देती है।
जब आप किन्हीं महान् कार्यों के सम्पन्न होने की बराबर आशा करते
रहते हैं, तो आपका यह स्वभाव बन जाता है और आप अपने भीतर छिपी
हर समस्त शक्ति को उनके उदगम से खोज निकालते हैं। तब ससार के
सन्मुख आपके आत्मविश्वास का वह दिव्य दूत प्रकट होता है, जिसे परमात्मा
ने मनुष्य को राह दिखाने के लिए इस संसार में भेजा है। व्यक्ति जब भी
सन्देह अथवा किन्हीं अन्य कुविचारों के कारण मोहग्रस्त हो जाता है, असफल
होने लगता है, निराश होने लगता है अथवा निराशा उसके रास्ते में आ खड़ी
होती है, तब यह आत्मविश्वास ही उसको संकट से उबारता है।
क्या आपने कभी सोचा है कि जो व्यक्ति जंगली जानवरों को भी अपने
वश में कर लेते हैं, उनमें कितना आत्मविश्वास होता है यदि उनके मन में
भय, संशय अथवा अविश्वास भरा हो और वे यह सोचें कि ऐसे भयंकर जीवों
पर काबू पाना उनके लिए सम्भव नहीं है, तो उनकी इस मनोवृत्ति के कारण
उनके मन की दुर्बलता, सन्देह और भय के विचार उन जंगली जानवरों तक
पहुंच जायेंगे और तब क्या होगा, इसकी आप कल्पना तो कीजिये । दम्माहम
आत्मविश्वास, अपने शौर्य और निश्चय के बल पर ही ऐसे व्यक्ति इन्हीं
जंगली जानवरों को परास्त करके अपने वश में कर लेते हैं और तब वही
जंगली जानवर उनके एक इशारे पर भीगी बिल्ली बन जाते हैं। वह जो चाहने
हैं, उनमे करा लेते हैं। आप जानते हैं, ऐसा क्योंकर हो पाता है इसके लिए
आवश्यक है आपकी दृष्टि के पीछे छिपी हुई वह ताक़त, जो उन जंगली
जानवरों को परास्त कर सकती है, वही उन पर काबू पा सकती है, लेकिन
उसके लिए आत्मविश्वास और दृढ़ निश्चय बहुत आवश्यक हैं, ज़रा-सी भी
कायरता अथवा भय की आशंका ऐसे व्यक्ति के प्राणों को जोखिम में डाल
सकती है।
जब तक व्यक्ति को यह विश्वास न हो कि जिस वस्तु को वह प्राप्त
करना चाहता है, उसे वह अवश्य ही प्राप्त कर लेगा, तब तक उसके मन
में वह अटूट निष्ठा पैदा नहीं हो सकती, जो उस वस्तु की प्राप्ति के लिए
आवश्यक होती है, लेकिन एक बार जब यह निश्चय हो जाये कि उसमें
सामर्थ्य हैं और उस काम से अधिक शक्ति व्यक्ति में है, तो उसे उस वस्तु
के प्राप्त करने में तुरन्त सफलता प्राप्त हो जायेगी। जो व्यापारी ‘करू या
न करू की दुविधा में उलझा रहता है, जिसे अपनी योग्यता पर ही विश्वास
नहीं, जिसे अपनी शक्तियों पर सन्देह है, वह सफल व्यापारी कैसे बन सकता
हैं इस प्रकार की मनोवृत्ति वाले व्यक्ति कोई भी महान कार्य नहीं कर सकते।
शरीर और इन्द्रियां मन का ही अनुसरण किया करते हैं। मन को ही
नेता बनना होगा, मन को ही आगे चलना होगा, मन को ही दृढ़ निश्चयी
होना होगा, मन में ही आत्मविश्वास भरना होगा, मन में ही कार्य की सफलता
के आकार का स्वरूप देखना होगा, मन में ही उस वस्तु को प्राप्त करने की
कल्पना करनी होगी, जिसका निर्माण आप करना चाहते हैं। जिस काम को
पूरा करने में, जिसके विषय में आपको अपनी शक्तियों को पूरा विश्वास होता
, आप उसी काम को कर सकते है
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उठो हिम्मत करो
Reviewed by Gyani Guide
on
12:21 PM
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