जानिए झूठी F.I.R. और झूठी गिरफ्तारी से खुद को कैसे बचाएं | Gyani Guide कानूनी सहायता
दोस्तों आज जो विषय हम आपके लिए लेकर आए हैं उसे आप को जाना बेहद जरूरी है और विषय है कि यदि कोई व्यक्ति आपके खिलाफ झूठी f.i.r. करा दे या या किसी झूठे आरोप में आपको फसा दे तो आपको क्या करना चाहिए और अपना बचाव किस तरह से करना चाहिए और यदि उस आरोप में आपके लिए अरेस्ट वारंट इश्यू हो गया है तो गिरफ्तारी से आपको कैसे बचना चाहिए यह कानूनी प्रक्रिया आप सभी को जानना बेहद जरूरी है क्योंकि आज के समय में आपसी रंजिश में लोग एक दूसरे के खिलाफ झूठे आरोप लगाते हैं और कहीं बाहर झूठी एफआईआर भी दर्ज करा देते हैं जिससे एक निर्दोष व्यक्ति को बहुत ज्यादा परेशानी उठानी पड़ती है तो आइए जानते हैं कि क्या है वह तरीका जिससे आप एक झूठे f.i.r. से खुद को बचा सकते हैं
दोस्तों इस से बचने के हमारे पास दो तरीके हैं
पहला तरीका
पहले तरीके में यदि आपको पता चलता है कि किसी व्यक्ति ने आप के खिलाफ झूठी f.i.r. पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई है तो आपको तुरंत अपने सभी सबूतों के साथ जो आपको यह साबित करते हैं कि आप निर्दोष हैं वह सभी लेकर आपको पुलिस स्टेशन जाना है और संबंधित पुलिस अधिकारी से यह कहना है कि हम पर जो मुकदमा जो एफ आई आर दर्ज कराई गई है वह छोटी है और उसके सबूत संबंधित अधिकारी के समक्ष पेश कर दे उसके बाद यदि वह अधिकारी आपकी बात मान जाता है तो वह पुलिसवाला क्या कर सकता है वह उस व्यक्ति के खिलाफ जिस ने आप के खिलाफ झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई है उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 182 के तहत उस व्यक्ति पर कार्यवाही कर सकता है धारा 182 के अंतर्गत क्या होता है आइए जानते हैं इसके अंतर्गत किसी व्यक्ति को जिसने आप के खिलाफ झूठा केस दर्ज कराया था उस पर 6 महीने की सजा या ₹1000 जुर्माना या फिर वह चाहे तो यह दोनों भी कार्यवाही उसके खिलाफ करी जा सकती हैं उसके बाद आप उस पुलिस वाले से कहें कि ऐसे लोगों को सबक सिखाना बहुत जरूरी है जो किसी निर्दोष व्यक्ति को दोषी बनाना चाहते हैं आप इस व्यक्ति के खिलाफ आईपीसी की धारा 211 के तहत कार्यवाही कीजिए अजीत आईपीसी की धारा 211 क्या है आइए इसके बारे में जानते हैं आईपीसी की धारा 211 के अंतर्गत में प्रावधान है कि यदि कोई व्यक्ति आप के खिलाफ झूठा केस दर्ज कराता है तो उस व्यक्ति के खिलाफ 211 की कार्रवाई की जा सकती है और इस धारा के अंतर्गत 2 साल की सजा और जुर्माना या फिर यह दोनों कार्यवाही करने का प्रावधान है और इसके अंतर्गत एक और चीज है जो हमें जाननी बहुत जरूरी है उस व्यक्ति ने आप के खिलाफ जो आरोप लगाया था उसमें जितनी सजा थी वह सजा उस व्यक्ति को दी जाएगी जिस ने आप के खिलाफ झूठा केस दर्ज कराया था उदाहरण के लिए यदि किसी व्यक्ति ने दूसरे व्यक्ति पर एक झूठा केस दर्ज कराया और उस आरोप में उस व्यक्ति को 2 साल तक की सजा हो सकती थी लेकिन वह व्यक्ति निर्दोष पाया गया और उसने उसने वापस एफ आई आर कराने वाले व्यक्ति के खिलाफ 211 आईपीसी की धारा के तहत कार्यवाही करने के लिए पुलिस अधिकारी से कहा तो फिर वह 2 साल की सजा उस व्यक्ति को दी जाएगी जिसने एक निर्दोष व्यक्ति के खिलाफ झूठा आरोप लगाया था
दूसरा तरीका
दूसरा तरीका तब के लिए है जब आप पुलिस अधिकारी के पास गए और उसने आपकी बात नहीं मानी उसने किसी दबाव या किसी अन्य वजह से आपकी बात को नहीं माना और आपके सभी सबूतों को दरकिनार कर दिया तब आपको दूसरा तरीका अपनाना है और यह दूसरा तरीका क्या है आइए जानते हैं इसमें आपको एक वकील हायर करना होगा और हाई कोर्ट के अंदर सीआरपीसी की धारा 482 के तहत अपील करनी होगी और तब तक जब तक कि हाई कोर्ट का निर्णय नहीं आ जाता तब तक आप के खिलाफ कोई भी कार्यवाही नहीं होगी यदि आपके खिलाफ कोई अरेस्टमेंट भी निकला हुआ है तो भी है अपने आप ही खारिज हो जाएगा और आप की गिरफ्तारी नहीं होगी ऐसे कैसे इसमें अधिकतर हाई कोर्ट बहुत जल्दी निर्णय दे देते हैं अगर आप निर्दोष हैं तो यह निर्णय आपके पक्ष में होगा इसके बाद यदि आप चाहें तो जिस व्यक्ति ने आप के खिलाफ झूठी एफ आई आर दर्ज कराई थी आप उस व्यक्ति के खिलाफ आईपीसी की धारा 500 के तहत मानहानि का केस दर्ज करा सकते हैं जिसमें उस व्यक्ति को 2 साल की सजा या जुर्माना या फिर दोनों सजा का प्रावधान है तो दोस्तों यह भी एक जानकारी जिसे आप लोगों तक पहुंचाना बहुत आवश्यक था आगे भी हम इसी प्रकार आप तक ऐसी जरूरी जानकारियां पहुंचाते रहेंगे तब तक के लिए धन्यवाद इस पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर करें ताकि एक निर्दोष व्यक्ति दोषी होने से बच जाएं ज्ञानी गाइड को शेयर करें नीचे दिए गए फॉलो बटन पर क्लिक करके फॉलो करें और करें कमेंट करें
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Reviewed by Gyani Guide
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3:50 PM
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