प्राचीन अविष्कार जो समय के साथ लुप्त हो गए और शायद फिर कभी नही बनेंगे | Gyani Guide रहस्यमयी दुनिया
आज मानव सभ्यता चरम पर है आज के आधुनिक युग में रोज़ नई खोजें और अविष्कार हो रहे हैं जो हमारी सभ्यता को आगे ले जा रहे हैं ऐसे में जब पीछे मुड़कर अपने इतिहास को देखते हैं हमारे दिमाग में तस्वीर आती है इसमें लोग तकनीकी अभाव में एक सरल और कठिन जीवन जीते हैं ऐसा लगता है कि जो उपलब्धि हासिल हुई है वहाँ कुछ दशकों में हुई है और इससे पहले कि मनुष्य है ज्ञान जगत में काफी पीछे थे लेकिन हकीकत कुछ और है प्राचीन काल से मनुष्य ने कुछ ऐसे खोज और आविष्कार किए हैं जो हम आज के आधुनिक दौर में उन्हें दोहराने में असमर्थ हैं दोस्तों आज में आप कुछ ऐसे ही प्राचीन आविष्कारों के बारे में बताऊँगा जो समय के साथ लुप्त हो गए और जिन्हें हम इतने आधुनिक साधनों के बावजूद ने दोबारा बनाने में असमर्थ हैं
दोस्तों शुरुआत करते हैं
नंबर एक पर है ग्रीक फायर
सातवीं से बारहवीं स्थान के बीच पूर्वी रोमन साम्राज्य से बेजेन्टेन अंपायर के नाम से जाना जाता है वहाँ की सेना एक हथियार का उपयोग करती थी युद्ध के दौरान राजा के सैनिक अपने दुश्मनों पर एक रहस्मय तरल पदार्थ थीं जो आग की लपटों से भरी होती थी जिसे ग्रीक फायर के नाम से भी जाना जाता है इसकी आग पानी के ऊपर भी जलती रहती थी और इससे केवल मिट्टी से बुझाया जा सकता था इसकी विधि कुछ खास लोगो को ही पता थी और बेजेन्टेन साम्राज्य इसकी विधि को काफी सुरक्षित रखती थी और इसी वजह से इसके बनाने की विधि समय के साथ लुप्त हो गयी कई लोगों को गिरफ्तार करवाने का प्रयास किया है और सभी प्रयास विफल रहे हैं
नंबर दो पर है Vitrum Flexile
कांच के 2 गुण होते है पहला तो यह कि यह पारदर्शी होता है और दूसरा ये की ये आसानी से टूट जाता है लेकिन हाल ही कुछ रिसर्च के बाद कुछ ऐसे कांच बनाए गए हैं जो आसानी से नहीं टूटते और इनका प्रयोग मोबाइल और अन्य सामान में किया जाता है पर अभी भी हम कभी ना टूटने वाले कांच बनाने की तकनीक से कोसों दूर है लेकिन अगर इतिहास चौदह से सैंतीस वीं शताब्दी में सम्राट तिबेरियस के साम्राज्य के दौरान अनजान व्यक्ति सम्राट के दरबार में एक साथ खड़ा लेकर आया उसने कहा कि यह कांच के घड़ा नहीं टूट सकता और इसे परखने के लिए उसका थोड़े को जमीन पर पटककर देखा गया जमीन पर गिरने के बाद घड़ा बिल्कुल नहीं टूटा ओर बस थोड़ा सा ही वह एक जगह से मुड़ गया जिसे उस व्यक्ति ने हथौड़े से पीटकर दोबारा ठीक कर दिया यह सब देखकर सम्राट तिबेरियस ने उस व्यक्ति से पूछा कि इसको बनाने की विधि किस किस को पता है जिसपर उस व्यक्ति ने जवाब दिया इसकी विधि सिर्फ उसे पता है इतना सुनते ही सम्राट ने सैनिकों को उसका सर काटने का आदेश दे दिया क्योंकि सम्राट को डर था कि इस तरह की वस्तु उसके राजकोष में रखे सोने चांदी जे भी मूल्यवान हो जाएगी
और उस व्यक्ति के साथ साथ कभी ना टूटने वाले कांच की विधि विलुप्त हो गयी
नंबर 3 पर है रोमन कंक्रीट
प्राचीन रोम समाज में कई ऐसी इमारतें बनाई हैं जो समय मात देते हुए आज भी खड़ी है इनकी वास्तुकला के अभिन्न अंग था उस समय की कॉन्क्रीट आज की कॉन्क्रीट से काफी अलग थी जहाँ आज की कॉन्क्रीट सिर्फ पचास साल या उससे थोड़ा ज्यादा चल सकते हैं वही रोमन कॉन्क्रीट हजारों साल चलने के लिए बने थे जिसकी वजह से ही इमारतें आज भी खड़ी है माना जाता है रोमन कॉन्क्रीट को ज्वालामुखी की राख से तैयार किया जाता था जो दरारों को फैलने से रोकता है लेकिन समय के साथ रोमेंटिक तकनीक या कला भी लुप्त हो गया
नम्बर 4 विष की दवा
आज के समय में यदि कोई विषैला जीव किसी को काट ले तो पहले इस बात का पता लगाया जाता है कि मनुष्य किस वजह से प्रभावित हैं जिसमें समय लगता है और इस समय के दौरान जहर से प्रभावित मनुष्य की मृत्यु भी हो सकती है अगर ऐसा हो सके कि सभी जहर का इलाज सिर्फ एक दवा से हो जाए तो लाखों जानें बचाई जा सकती है माना जाता है ईसा पूर्व से पॉइंट्स के राजा मिड डे स्नैक दवा ढूँढ निकाली थी जो किसी भी जहर को काट सकता था राजा के चिकित्सकों ने इस दवाई को और भी बेहतर बनाया लेकिन समय के साथ यह दवा और इसके बनाने की विधि भी लुप्त हो गयी इस दवा को बनाने का प्रयास कई लोगों ने किया है पर वो सारे इस प्रयास में विफल रहे हैं
नम्बर 5 विशेष आयरन
दिल्ली में कुतुब कॉम्प्लेक्स में एक लोहे का खंभा खड़ा है भारत के प्राचीन धातु विज्ञान का एक जीता जागता मिसाल है यह खम्बा पंद्रह सौ साल या उससे भी पुराना बताया जाता है खुले में होने के बावजूद हजारों साल के मौसम के बदलाव झेलने के बावजूद इस खंभे में जंग लगने का ज़रा भी लक्षण नहीं दिखता है इस खम्बे की ऊँचाई चौबीस फुट है और यह निन्यानवें दशमलव सात दो प्रतिशत लोहे से बना हुआ है और इस पर ऑक्साइड का पतला सुरक्षा कवच भी चढ़ाव हुआ है जो इसे जंग लगने से बचाता है यह प्राचीन भारत के आधुनिक विज्ञान का अद्भुत नमूना है इसमे कही भी जंग नहीं दिखता है
इस प्रकार के कारनामे करने में हम असफल हैं जो पूरी तरह से जंग रोधक लोहा खोज सके यह लोहे का खंभा दिल्ली लाय जाने से पहले उदयगिरी में स्थापित था जो गुप्त साम्राज्य के दौरान स्थापित किया गया था
नंबर 6 पर है आर्किमिडीज द्वारा बनाया गया दर्पण का हथियार
ग्रीक में आर्किमिडीज ने एक ऐसा हथियार बनाया था जो सूरज की रौशनी को दुश्मन सैनिकों के जहाज पर प्रतिबिंबित करके उसे जला देती थीं इस हथियार के लिए एक खास तरह के दर्पण का प्रयोग किया जाता था पर समय के साथ यह हथियार विलुप्त हो गया कई लोग मानते हैं कि ऐसा हथियार संभव नहीं है क्योंकि इस तरह के दर्पण से किसी भी चीज़ को जलाने में काफी समय लगेगा और इसके लिए अनुकूल प्राकृतिक परिस्थितियां भी होनी चाहिए इसलिए उनका मानना है कि इस तरह का हथियार संभव नहीं है और यह काल्पनिक है लेकिन एमआईटी के छात्रों ने एक ऐसा प्रयोग किया जिसमें उन्होंने विशाल तर्पण का इस्तेमाल करके एक छोटे नौका पर आग लगाने में सफलता हासिल कर ली
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प्राचीन अविष्कार जो समय के साथ लुप्त हो गए और शायद फिर कभी नही बनेंगे | Gyani Guide रहस्यमयी दुनिया
Reviewed by Gyani Guide
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11:29 AM
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